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"सुनते हैं कुछ रो लेने से, जी हल्का हो जाता है! थोड़ी देर बरस कर ग़म का, बादल भी छंट जाता है !! सबके अपने-अपने दु:ख हैं, सबके अपने-अपने ग़म! साक़ी ...